IAS Officer Success Story: समाज में एक ओर कहानी दर्ज कर बने ऑटो चालक के बेटे IAS, जानिए इनकी मेहनत और जुनून
यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा भारत में सबसे कठिन जाना जाता है। यह परीक्षा को क्रैक करना हर किसी की बस की बात नहीं है। जहां हर साल इस परीक्षा में लाखों की संख्याओं में छात्र परीक्षा देने बैठते हैं। वहीं छात्रों को कई अटेम्प्ट के बाद भी कामयाबी हासिल नहीं मिलता है। वहीं दूसरी ओर कुछ छात्र पहले ही अटेम्प्ट में कामयाब हो जाते हैं। ऐसे ही आज हम चर्चा करेंगें जिन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में सफलता हासिल करी और समाज में एक उदाहरण खड़ा कर दिया कि अगर आप कुछ ठान ले, तो सब जीत सकते हैं। साथ ही इनके पिता ऑटो चलाते थें। वहीं उनके बेटे ने आज अपने पिता का नाम गर्व से रोशन कर दिया। वहीं दूसरी ओर आज हम जानेंगे ऐसे IAS ऑफिसर की कहानी जिन्होंने बचपन से लेकर आईएएस अधिकारी बने के लिए क्या-क्या कठिनाइयों का सामना किया और साथ ही IAS ऑफिसर को लेकर उनके जुनून की चर्चा करेंगें। चलिए आगे जानते है उनकी कहानी:
गोविंद जायसवाल
उत्तर प्रदेश में वाराणसी के रहने वाले गोविंद जायसवाल के पिता ने रिक्शा चलाकर। साथ ही हर बुरे वक्त से गुजर कर अपने बेटे को पढ़ाया। जब गोविंद जायसवाल सातवीं कक्षा में पढ़ते थे तब उनकी मां का ब्रेन हैमरेज से देहांत हो गया था। तब उनके पिता रिक्शा कंपनी के मालिक थे। लेकिन अपनी पत्नी के इलाज में उन्होंने अपने ज्यादातर रिक्शा बेच दिए थे। वहीं कई दिनों तक गोविंद जायसवाल और उनकी तीनो बहनों ने और साथ ही उनके पिता ने सुखी रोटी खाकर अपना गुजारा किया था।
वहीं गोविंद के पिता खुद भूखा सोए हैं परंतु अपने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। IAS ऑफिसर गोविंद जायसवाल ने अपने बचपन में ही सोच लिया था कि उन्हें IAS ऑफिसर के अलावा और कुछ नहीं बनना है। जब वह दोस्त के घर खेलने के लिए गए थे, तब वहां उनके साथ हुए व्यवहार के बाद उन्होंने अपने जीवन को बदलने का जुनून ठान लिया था। गोविंद ने अगले दिन अपने टीचर से पूछा कि वे अपने जीवन को कैसे बदल सकता है। टीचर ने गोविंद के सावल पर दो रास्ते बताए, पहला कोई बड़ा कारोबार बन जाने का और दूसरा IAS ऑफिसर बनने का। तब से ही गोविंद ने IAS बने का ठान लिया।
गोविंद ने अपनी शिक्षा उस्मानपुर के सरकारी विद्यालय से की थी। उसके बाद उन्होंने हरिश्चंद्र यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। साल 2006 में गोविंद जायसवाल यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली पहुंच गया। वहीं उनके पिता सेप्टिक और घाव होने के बाद भी रिक्शा चलाते थे। जहां अपने बेटे गोविंद को रूपये भेजने के लिए वह कई बार खाना नहीं खाते थे और अपने बीमारी का इलाज भी नही करवाते थे।
गोविंद जायसवाल ने दिल्ली आने के बाद कोचिंग जॉइन नहीं की। बल्की, वह वहीं बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे। साल 2007 में गोविंद जायसवाल ने अपने पहले अटेम्प्ट में ही उन्होंने 48 वीं रैंक हासिल कर लिया था। गोविंद जायसवाल की शादी चंदना चौधरी से हुई, जो एक आईपीएस ऑफिसर हैं। गोविंद जायसवाल की उनके साथ अरेंज्ड मैरेज हुई थी। गोविंद के लाईफ स्टोरी पर बॉलीवुड फिल्म भी बनी। जिसका नाम “दिल्ली अब दूर नहीं” रखा गया था। यह फिल्म 12 मई 2023 को थिएटर में रिलीज हुई थी।
अंसार अहमद शेख
मुंबई के छोटे से गांव में पले-बढ़े अंसार अहमद शेख। जहां उन्होंने बहुत संघर्षों का सामना किया। अंसार की संघर्ष भरे जीवन की कहानी से हमें अपने सपनो को पूरा करने के लिए प्रेरणा मिलती है। अंसार अहमद शेख का नाम सबसे युवा IAS ऑफिसर होने का रिकॉर्ड दर्ज है। वहीं अंसार की कहानी उनके लगन और न हार मारने का उदाहरण है। जिससे हम सभी को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
21 साल की उम्र में अंसार भारत के सबसे कम उम्र के IAS अधिकारी बने। साल 2016 में उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 361 वीं रैंक प्राप्त किया था। अंसार के कहानी से हमें यह सीखने मिलता है कि अगर आपके साथ आपके परिवार वाले हैं और आपके दोस्त हैं तो आप जीवन की कोई भी परिस्थितियों का सामना खुशी-खुशी पार कर सकते हैं।
आज के समय में अंसार अहमद शेख कूचबिहार, पश्चिम बंगाल में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (ADM) के पद पर कार्यरत हैं। अंसार का जन्म महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के एक छोटे से गांव जालना में हुआ था। जहां उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे। वहीं अंसार की मां खेतों में काम करती थी। वहीं उनका परिवार छोटा पर सुखमय था।
घर की कमजोर आर्थिक स्थिति को लेकर अंसार के परिवार वालों ने उनके पढ़ाई पर कोई दिक्कत नहीं आने दी। अंसार शुरू से ही पढ़ने में बहुत अच्छे रहे थे जिसे लेकर उनके दसवीं में 91 परसेंट अंक आए थे। इसके बाद उन्होंने पुणे के कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी। जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास करने का निर्देश बनाया था।
अंसार अहमद शेख ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा के लिए रणनीतिक तरीके से पॉलिटिकल साइंस को अपना ऑप्शनल विषय के रूप में चुना था। वहीं उन्होंने मेंस की परीक्षा और इंटरव्यू मराठी में देने का डिसीजन लिया था। इसे देखकर पता चलता है कि अंसार ने अपने परीक्षा के बारे में अच्छे से प्लेन बनाया था। उनकी स्ट्रैटजी के वजह से ही उन्हें सफलता हासिल हुई। जबकि उनका IAS बनने का रास्ता इतना भी आसान नहीं था।
परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को लेकर उनके बड़े भाई को सातवीं क्लॉस के बाद ही स्कूल छोड़ना पड़ा था। जिसके बाद उन्होंने गैरेज में काम करना शुरू कर दिया था। वहीं 15 साल में ही अंसार की बहन की शादी हो गई थी। इन सभी संघर्ष के बाद भी अंसार ने कभी अपने सपने से पीछे नहीं हटा। अंसार ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाते हुए ग्रेजुएशन पास करी, जिसके बाद यूपीएससी (UPSC) परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया था।
जहां अंसार को उनके कोचिंग इंस्टिट्यूट और उनके दोस्तों का पूरा सहयोग मिला। जिससे उनको प्रेरणा और उनका साथ मिलता था। साल 2016 में अंसार को अपने कड़ी मेहनत और लगन का सबूत मिला, जब उन्होंने अपने पहले अटेम्प्ट में ही UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी। उन्होंने उसमें 361 वीं रैंक प्राप्त किया था।
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