आखिर क्या कारण है कि ओलंपिक से ज़्यादा पैराओलिपिक में भारत का प्रदर्शन है बेहतर?

आखिर क्या कारण है कि ओलंपिक से ज़्यादा पैराओलिपिक में भारत का प्रदर्शन है बेहतर?

आपको बता दें कि पैरालंपिक शारीरिक, बौद्धिक या दृष्टि दोष वाले एथलीटों के लिए प्रतियोगिता है. हालांकि प्लेयर्स ने भारत को काफ़ी गर्व महसूस करवाया है। पैरालंपिक में 25 से ज्यादा मेडल हासिल कर लिया है ।जिससे टोक्यो पैरालंपिक-2020 के 19 मेडल्स का आंकड़ा पीछे छूट चुका है.

पर आपके मन में यह सावल ज़रूर आ रहा होगा कि क्या कारण है कि ओलंपिक से ज़्यादा पैराओलिपिक में भारत का प्रदर्शन है बेहतर?

Paralympics 2024
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इसके कुछ निम्नलिखित कारण हैं –

1. पैरा-स्पोर्ट्स पर अधिक ध्यान और निवेश

भारत सरकार और पैरालंपिक समिति ने हाली साल में पैरा एथलीटों की पहचान, प्रशिक्षण और सपोर्ट के लिए बड़ा कदम उठाया हैं। इसमें ज्यादा तर पैरा-स्पोर्ट्स के लिए बढ़ी हुई फंडिंग, कोचिंग संसाधन और बुनियादी ढांचा शामिल है। पेरिस पैरालंपिक के लिए 74 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि टोक्यो पैरालंपिक चक्र के लिए 26 करोड़ रुपये ही थे।Paralympics 2024

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2. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम प्रतिस्पर्धा

ओलंपिक के मुकाबले पैरालंपिक में भाग लेने वाले बड़े खिलाड़ियों का ग्रुप बहुत छोटा है। एस्पेशली उन कंपटीशन में जहां भारत बेहतरीन परफॉमेंस करता है, जैसे पैरा- एथलेटिक्स। इससे भारतीय एथलीटों के लिए क्वालिफाई करना और मेडल जीतना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है। SAI, स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री के दखल के बाद पैरालंपिक में खेलों की पार्टिसिपेशन बढ़ी है। ट्रेनर और सपोर्ट स्टाफ भी बढ़ा है।Paralympics 2024

3. वर्गीकरण प्रणाली (Classification)

पैरालंपिक वर्गीकरण प्रणाली का पर्पस समान स्तर की कैपेसिटी वाले एथलीटों को एक ग्रुप में लाकर ईमानदारी से प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है। इससे भारतीय एथलीटों को लाभ हो सकता है, जिनमें कई तरह की शारीरिक समस्याएं हैं।Paralympics 2024

4. पैरा-एथलीटों की लगन और दृढ़ता

कई भारतीय पैरालंपिक एथलीटों ने अपने खेल के टॉप पर पहुंचने के लिए इंपोर्टेंट फिजिकल इकोनॉमिक और सामाजिक चुनौतियों को पार किया है। यह लगन और मजबूत संकल्प एक्सीलेंट परफॉमेंस की ओर ले जा रहा है। इसको एक एग्जांपल से समझ सकते हैं, भारत की पहली महिला पैरालंपिक मेडलिस्ट दीपा मलिक ने 2016 में 46 साल की उम्र में मेडल जीता। तब उनकी जीत को जादू कहा गया। लेकिन इसके पीछे यह बात समझनी होगी कि दीपा की मेहनत और लगन के साथ उनको तब कंडीशनिंग कोच, ट्रेनर, सपोर्ट स्टाफ जैसे लोग को अवेलेबल करवाया। उनको ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाएं भी एक्सेंबल करवाई गईं।Paralympics 2024

5. बेहतर खेल विज्ञान और कोचिंग

भारत के पैरालंपिक प्रोग्राम को स्पोर्ट्स मेडिसिन, ट्रेनिंग टेक्नीक और एक्सपीरियंस कोचिंग में बढ़ते इन्वेस्टमेंट से लाभ मिला है- जिससे पैरा-एथलीटों को अपनी कैपेसिटी को बढ़ाने में मदद मिली है। खिलाड़ियों को सिंपल भाषा में NADA (National Anti-Doping Agency) के नियमों का हिंदी में रूपांतरण करके बांटे हैं, ताकि खिलाड़ियों को पता हो कि कौन सी चीजें पर रोक लगाया है। टोक्यो के समय इसका कोर्स कैप्सूल बनाया गया था। अब पैरा खिलाड़ियों को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जोड़ा गया है। जिसका फायदा खिलाड़ियों को हुआ, अब पैरा खिलाड़ी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के बेस्ड पर खुद को तैयार कर रहे हैं।

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