पुतिन बने तीसरी बार रूस के राष्ट्रपति लोकतंत्र की उरी धज्जिया
रूसी अधिकारियो ने यह घोषणा किया की अगले 6 साल के लिए राष्ट्रपति पुतिन ही रहेंगे ऐसा बयान के बाद राष्ट्रपति में रहने वाले पुतिन की यह तीसरी जीत है क्या आप पुतिन के बारे में जानते है क्यों बना राष्ट्रपति, कहा का रहने वाला है
पुतिन का जन्म 1952 में रूस में ही हुआ था यह पहले लेफ्टिनेंट कर्नल रह चुके है उसके बाद 2008 से 2012 तक प्रधानमंत्री पद में रहे उसके बाद पहली बाद 2012 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़े जिसमे उनको अच्छी जीत मिली जिसकी कोई उम्मीद नहीं थी | उसके बाद यह नया कानून लेकर जिसमे उनको अगले 12 साल तक राष्ट्रपति बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है यही वजह है की देश के अधिकारियो का कहना है की देश न तो स्वतंत्र है न ही निष्पक्ष।पुतिन को 87% से अधिक वोट मिले।रूस के केंद्रीय अधिकारियो ने यह घोषणा की की आधे परिणाम के बाद पुतिन जीत चुके है यदि आगे भी बढ़त बनाए रखता है तो यह अब तक की सबसे शानदार जीत होगी जिसका वह दावा करेगा। यह चुनाव शुक्रवार और रविवार के बीच हुआ।
मतदाताओं के पास पुतिन के लिए तीन विकल्प हैं, हालांकि मतपत्र पर किसी भी अन्य उम्मीदवार ने उनके खिलाफ नहीं बोला है और न ही उन्हें मतदाताओं से बड़ा समर्थन मिलने की उम्मीद है।
इस सप्ताहांत के चुनाव में मतदाताओं की ओर से कुछ दुर्लभ प्रतिक्रिया देखी गई जो सार्वजनिक रूप से इस चुनाव की वैधता पर सवाल उठाना चाहते थे। कुछ मतदाताओं ने रविवार दोपहर एलेक्सी नवलनी के सहयोगियों द्वारा आयोजित “पुतिन के खिलाफ दोपहर” विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।दुनिया भर में रूसी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में मतदान स्थलों पर बड़ी भीड़ देखी गई। पुतिन और यूक्रेन पर उनके चल रहे आक्रमण के खिलाफ असहमति जताने के लिए नवलनी की विधवा यूलिया नवलनाया की कॉल के बाद रूस में मतदान स्थलों पर लंबी लाइनें लग गईं। यह विरोध प्रदर्शन नवलनी द्वारा समर्थित था, जिसका पिछले महीने 19 साल की सजा काटने के दौरान प्रसिद्ध पुतिन आलोचक की जेल में अचानक मृत्यु हो गई थी। नवलनी ने 2018 में पिछले राष्ट्रीय चुनाव में पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ने की मांग की थी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी रोक दी गई थी।
मुख्य पृष्ठभूमि
विशेषज्ञो का ऐसा मानना हैं कि पुतिन के शासन में रूसी चुनाव न तो स्वतंत्र हैं और न ही निष्पक्ष।पुतिन ने राजनीती का करियर जब 2000 से सुरु किया था उस समय और आज में जो भी बदलाव मिल रहे है यह उनकी सोची समझी चाल थी पुतिन ने ऐसे कानून बनाये जिनके बाद चुनाव होना एक खेल हो गया था
2000 में हुए चुनाव के बाद यह 2012 में जब राष्ट्रपति बने तब ही उन्होंने ऐसा कानून लेन में कामयाब भी रहे , 2021 में, उन्होंने कानून में एक कानून पर हस्ताक्षर किए जो उन्हें संभावित रूप से 2036 तक सत्ता में बने रहने की अनुमति देगा।
वैश्विक लोकतंत्र प्रहरी, फ्रीडम हाउस ने कहा कि निरंतर शासन “तरजीही मीडिया उपचार, सत्ता के कई दुरुपयोग और प्रक्रियात्मक अनियमितताओं” के कारण संभव हुआ है। वोटों की गिनती के दौरान।” पुतिन के खिलाफ बोलने वालों को ऐसा करने के लिए दंडित किए जाने या यहां तक कि मारे जाने का इतिहास रहा है।
क्रेमलिन और उसकी नीतियों का विरोध करना भी अत्यधिक प्रतिबंधित है। 2022 में जब पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के एक महीने बाद, विधायिका ने युद्ध-विरोधी विरोध प्रदर्शनों को अपराध घोषित करने वाला एक विधेयक पारित किया। तब से, असहमत लोगों के लिए गिरफ़्तारी और जेल की सज़ा आम हो गई है। फ्रीडम हाउस ने कहा कि पुतिन के असहमत लोगों को “अक्सर राजनीतिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को रोकने के लिए मनगढ़ंत आपराधिक मामलों और प्रशासनिक उत्पीड़न के अन्य रूपों से निशाना बनाया जाता है।”यदि आप इन सभी पॉइंट को समझे तो आप पयोगे की यह बोलने की आजादी छीनी जा रही है देश में जनतंत्र को बदलने का प्रयास हो रहा है या फिर देश में तानाशाही आ गयी है खुलेआम पुतिन के खिलाफ बोलने वालो को सीधे जेल की सजा मिल रही है इससे आप क्या अंदाजा लगा सकते है की लोकतंत्र का शासन है या तानाशाह का |विकिपीडिया में पुतिन के राजनितिक करियर के बारे में जानकारी मिल जाएगी
मीडिया की रिपोर्ट की सर्वेक्षण के अनुसार फरवरी तक यह पुतिन की अनुमोदन रेटिंग 86% है , हालांकि कई लोगों ने सवाल उठाया है कि एक निरंकुश देश में अनुमोदन रेटिंग कितनी सटीक हो सकती है, जहां नागरिक खुले तौर पर आलोचना करने से डरते हैं।क्योकि जब इतने सारे लोग इसके विरोध में है तो फिर यह कैसे प्रतिशत बर सकता है जनता के बीच इतना खौफ है की यह पुतिन के बारे में कुछ भी गलत नहीं छाप सकते है , बोल सकते है , लिख सकते है|
आपका पुतिन के राष्ट्रपति होने पर कुछ कहना है तो आप कमेंट कर सकते है
CAA क्या है श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी श्री सतेंद्र दास जी ने क्या कहा है