फर्जी दवा: मार्केट में नकली दवाई, CDSCO ने खोला खुलासा
कई आम बीमारी जैसे बुखार, खासी, पेट, सर दर्द आदि जेसे में लोग खुद ही मेडिकल शॉप जाके दवा ले आते हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के खालेते हैं। साथ ही आज के समय में जहां फलों और सब्ज़ियों में और वहीं हवा भी दुषित हो गया है जिसमें जहरीली गैस व कैमिकल मौजूद रहते हैं। जिसके कारण अधिकतर लोग दवा पर निर्भर हो चुके हैं। अब दवाइयों में भी मिलावट हो रहा है।
फिर एसे में फर्जी दवा मार्केट में बिकेंगी तो लोग किस पर भरोसा करें। इस लापरवाही से कई लाखों मासूमों की जिंदगी दाव पर होती है। जिसके चलते आगे उन्हें भारी नुक्सान देखना पढ़ता है।
द सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (CDSCO) जो देश में दवाओ की नियमन या उसके साईड इफेक्ट जांच करने वाली बड़ी केंद्रीय संस्था है। यह हर महीने कुछ दवाओं को जांच करने के लिए चुनता है। CDSCO ने अगस्त में 2 लिस्ट में अलर्ट जारी की। जिसके अनुसार 53 दवाओं के कुछ बैच मिले हैं जो नकली पाए गए हैं। साथ ही CDSCO रिपोर्ट में कुछ गिने चुने बैच को नॉन स्टैंडर्ड क्वॉलिटी बताया गया है। इस लिस्ट में येसी कई दवाएं हैं जो लोग ज्यादातर मामलों में इस्तेमाल करते हैं।
यह रहे दवाओं के नाम:
. क्लावम 625 (Clavam625)
. शेल्कल (Shelcal)
. पैन-डी (Pan-D)
. पैरासेटामोल (Paracetamol tablets IP 500 mg)
. सीपोडम एक्स पी 50 ( Cepodem XP 50 Dry Suspension)
. तेलमिसार्टन (Telmisartan Tablets IP 40 mg) इसके 4बैच मौजूद हैं।
. मेट्रोनीडाजोल (Metronidazole Tablets IP 40 mg)
यह दवाएं गलत पाए गए हैं। पुने, हरिद्वार और फरीदाबाद एसे कई जगहों की मेनिफैक्चरिंग यूनिट में बनाई गई इन दवाओं की जांच कोलकाता, चंडीगढ़, मुंबई, गुवाहाटी की लैब्स में हुई थी। वहीं एक और लिस्ट CDSCO ने निकाली है, जिसमें कुछ बडी फार्मा कंपनियों की दवाएं कुछ गिने चुने बैच के टेस्ट में फेल हो गई। जिसके चलते कुछ कंपनियों का जवाब सामने आया है। साथ ही दुसरी लिस्ट भी सामने आई है जिसमें सनफार्मा जेसे बडी कंपनी के 3 दवाओं का नाम शामिल है।
दवाओं के बैच जांच में फेल के नाम
. पल्मोसिल (Pulmosil) बैच- KFA0300
. पैंटोसिड (Pantocid) बैच- SID2041A
. उर्सोकोल (Ursocol 300) बैच- GTE1350A
साथ ही कई और कंपनी सामने आई है, ग्लेनमार्क और मैक्लियड्स। जिसमें यह दवाओ के नाम शामिल हैं
. तेलमा एच ( Telma H)
. डेफ्लाजाकोर्ट (Deflazacort tablets)
कंपनियों ने दी सफाई
सनफार्मा, ग्लेनमार्क और मैक्लियड्स कंपनियो ने अपने सफाई में कहा कि “लेबल के दावे के हिसाब से वास्तविक निर्माता ने जानाकारी दी है कि प्रोडक्ट का संबंधित बैच उनके जरिए बनाया गया नहीं है और वो नकली दवा है। लेकिन इसकी जांच की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है”।
जानिए कंपनियों ने किससे और कितना चुनावी बॉन्ड खरीदा
टोरेंट फार्मास्यूटिकल लिमिटेड कंपनी ने 77 करोड़ 50 लाख रूपये में चुनावी बॉन्ड में दिया है। इस कंपनी ने इन रूपयों के जरिए चुनावी बॉन्ड को खरीदा है, जिसमें 6 करोड़ रूपये चुनावी बॉन्ड फार्मा कंपनी ने बीजेपी को दिया, 5 करोड़ रूपये कांग्रेस पार्टी को दिया, वहीं 3 करोड़ रूपये समाजवादी पार्टी को दिया और 1 करोड़ रूपये आम आदमी पार्टी को दिया। दूसरी फार्मा कंपनी जिसका नाम एल्केम हेल्थ साइंस कंपनी। यह कंपनी पैन-डी दवाई बनाती है। इस कंपनी ने भी बीजेपी को 15 करोड़ रूपये के चुनावी बॉन्ड्स दिए। और तीसरी फार्मा कंपनी का नाम हेट्रो लैब्स लिमिटेड है। जिसने 25 करोड़ रूपये के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे। जिसमें से 20 करोड़ रूपये के चुनावी बॉन्ड तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव के पार्टी को दिया और वहीं 5 करोड़ रूपये बीजेपी को दिया।
एक और कंपनी शामिल हैं जिसका नाम सनफार्मा है। यह बहुत बड़ी कंपनी में से आती है। जिसने बीजेपी को साढ़े इकतीस करोड़ रूपये के चुनावी बॉन्ड खरीद कर चंदा दिया था। जिसके कारण पता चलता है कि जिन फार्मा कंपनियों ने दवाईयों में मिलावट देखने को मिली है। उन कंपनियों ने चुनाव से पार्टियों को चुनावी बॉन्ड खरीदकर चुनावों में चंदा दिया है।
नैशनल IMA के डॉक्टर ने क्या कहा
नैशनल IMA कॉविड टास्क फोर्स के डॉक्टर राजीव जयदेव ने कहा कि “भारत में मैन्युफैक्चर केरने वाली कुछ दवाइयां नॉन स्टैंडर्ड क्वॉलिटी भारत में बनाने वाले कुछ मेडिसिन को क्वालिटी में कुछ प्रोब्लम डिटेक्ट किया गया है CDSCO ने इसका मतलब है कि दवा में करेक्ट अमाउंट का दवा शायद नहीं होगा या उनके क्वालिटी का इंग्रेडिएटस नही होगा या फिर कुछ एडल्ट ट्रेंड होगा। या फिर बिलकुल नकली हो सकता है। सरप्राइज की बात यह है कि इसमें बड़ी कंपनी और आम लोग दवाई लेते हैं वे सब लिस्ट में शामिल हो गया है, पर इसका मतलब यह नहीं कि मार्केट में मिलने वाली सारी दवाई नकली हैं”।
इस पर दवा विक्रेताओं का क्या कहना
दवा विक्रेता कहते हैं कि, लोग सस्ता मेडिसिन लेने के लिए इधर-उधर से दवाई खरीदकर बिना डॉक्टर से जांच कराए खा लेते हैं। जिसमें उनका नुक्सान होता है। वहीं दूसरे विक्रेता का कहना है कि, सरकार जो कर रहीं है एकदम सही कर रही है। इसमें कंपनियों के दवाइयों को चैक करके बंद करा जाए। उनका मानना है कि, जब भी कोई मरीज दवाई खरीदता है तो उस पर ध्यान दें और डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें। साथ ही वह सरकार से अपील करते हैं, कंपनी की ओर थोड़ा ठोस कदम उठाए और जो भी कंपनी फर्जी दवाई बना रही या बेच रही है उनकी कंपनी को सील करे, उनके लाईसेंस को रद कर दिया जाए ताकि आने वाले समय में दुसरी कंपनी ऐसा कोई कदम न उठाए और उनको इसे सबक मिले। आगे कुछ ओर विक्रेता कहते हैं कि, जो भी दवाई आए सरकार को सबसे पहले उसकी जांच करनी चाहिए और फिर उस दवाई को मार्केट में लाए।
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